ناد علی کا ورد کرو یہ غم وم ڈر ور کیا۔
ناد علی کے سامنے کوئی منتر ونتر کیا



नादे अली का विरद करो येह ग़म वम डर वर क्या
नादे अली के सामने कोई मंतर वंतर क्या



شیر خدا نے خد اپنی تلوار کو روکا تھا۔
ورنہ یہ جبریل تمہارے شہ پر وہہ پر کیا۔



शेरेखुदा ने खुद अपनी तलवार को रोका था
वर्ना येह जिबरील तुम्हारे शेह पर वेह पर क्या



جس نے اپنے بچپن میں اڈدر کو چیرا ہو
اس کو بھری جوانی میں یہ خیبر ویبر کیا۔



जिस ने अपने बचपन में अज़दर को चीरा हो
उस को भरी जवानी में यह खैबर वैबर क्या



دونوں جہاں میں انکے مقابل آئیں تو ہاریں گے
حارث وارث، مرحب ورحب، انتر ونتر کیا۔



दोनो जहां में उन के मुकाबिल आए तो हारें गे
हारिश वारिश, मरहब वरहब, अंतर वंतर क्या



جس کے دل میں حب علی کی مہر لگی ہوگی
اس کیلئے یہ برزخ ورزخ محشر وحشر کیا۔



जिस के दिल मे हुब्बे अली की मोहर लगी होगी
उस के लिए ये बरज़ख वरज़ख मेहशर वेहशर क्या

      

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